शुक्रवार, 3 जून 2011

देशं का संविधान धर्म के आधार पर भेद-भाव करने की इजाजत नहीं देता

 जनता दल मेहनतकशं  के संस्थापक सह आल इंडिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष शं डा.एम.एजाज अली ने  धारा  341 की उपधारा 3 में उन दलितों को ही आरक्षण का लाभ दिये जाने का जो हिन्दू हैं कि मुखालफत करते हुए कहा कि देशं का संविधान धर्म के आधार पर भेद-भाव करने की इजाजत नहीं देता है तो फिर मुस्लिम समाज के दलित वर्ग में आने वाली जातियों को दलित आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिल रहा क्या यह मुस्लिम दलितों के साथ भेद-भाव नहीं है? इसे कौन देखेगा? क्या यह समाप्त नहीं होना चाहिए? यह खेल कांग्रेस के केन्द्र में सरकार  के दौरान हुआ है। जबकि बाद में क्रमशं सीखों और बौद्ध समाज के लोगों को यह लाभ दे दिया गया पर क्या वजह है कि मुस्लिम व इसाईयों की दलित जातियों को यह लाभ नहीं मिल पाया है। वक्त की यह मांग है कि मुसलमानों के सभी दल के नेता कांग्रेस नीत यूपीए सरकार पर इस बात के लिए दबाब बनायें कि दलित मुसलमानों को भी आरक्षण का लाभ मिले। मेरा मानना  कि आजादी के बाद दलित हिन्दुओं की सबसे ज्यादा तरक्की हुई। इसका वाहिद वजह है कि उन्हें दलित आरक्षण के चलते राजनीतिक, आर्थिक और शैखानिक  स्तर पर लाभ मिला है।

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