रविवार, 5 जून 2011

बाबा रामदेव की टोली पर हमला निन्दणीय

डा.एम.एजाज.अली
 
           दिल्ली के रामलीला मैदान में काला धन के सवाल पर अनषन पर बैठे बाबा रामदेव व उनके समर्थकों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की जितनी निन्दा की जाए वह कम है। इसे लोकतंत्र का काला अध्याय कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
                ऐसा क्यों हुआ इसे समझने की जरूरत है। आज पूरा देष क्रप्षन में डूब चुका है। ऐसे में हम इस बिमारी को एकबारगी खत्म करना चाहेगें तो उसका हाल वैसा ही होगा जैसा बाबा रामदेव के आन्दोलन का कांग्रेस नीत केन्द्र सरकार ने किया। यह वाय क्राइसीस नहीं हो सकता इसके लिए वाय लाइसीस का रास्ता बनाना होगा। यानी धीरे-धीरे माहौल बनानी होगी। इसके लिए हमें पैगम्बर मोहम्मद साहब की कार्यपद्धति का अनुषरण करना होगा। हम सभी जानते हैं कि पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब ने इसलाम धर्म का प्रचार जब मक्का से प्रारम्भ किया था उस समय अरब के लोगों में दुनिया की सारी बुराईयां भरी पड़ी थी। उनके बीच षराब पीने का चलन आम था। वे औरतों की ईज्जत नहीं करते थे यहां तक की लड़की पैदा होने पर उसे मार देते थे। वगैरह-वगैरह विभिन्न प्रकार की बुराईयां उनमें व्याप्त थी। पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने पहले अरब के लोगों को इसलाम धर्म को अपनाने की दावत दी। उसके बाद पांच वक्त के नमाज की ताकीद की। इसमें वेलोग भी मस्जिद जाकर नमाज पढ़ने लगे जो षराब पीने के आदी थे। उन्होंने उनलोगों को मस्जिद जाने से मना नहीं किया जबकि इसलाम धर्म में षराब पीकर नमाज अदा करने की मनाही है। पर उस समय वक्त का यही तकाजा था सो पैगम्बर इसलाम ने उनलोगों को    मस्जिद जाने से नहीं रोका पर जब वे नियमित नमाज में आने लगे तब धीरे-धीरे उन्हें षराब पीकर मस्जिद आने और नमाज पढ़ने को गलत बताना प्रारम्भ किया। उन्हें बताया गया कि षराब पीकर नमाज पढ़ने वालों से ज्यादा पुण्य उसे मिलता है जो षराब नहीं पीते। इसका असर यह हुआ कि षराबी लोग धीरे-धीरे षराब से तौबा करते चले गये और षराब पीना ही छोड़ दिये। कहने का मतलब यह है कि पैगम्बर मोहम्म्द साहब अगर उन षराबियों को एकाएक षराब छोड़ने को कहते जो षराब पीने के आदी हो चुके थे तो उनके लिए यह संभव नहीं होता क्योंकि उन्हें षराब की लत लग चुकी थी। उसी प्रकार इस देष के आला अफसरों और राजनेताओं के खून में क्रप्षन का जीन धुस गया है। यह वाय क्राइसीस यकायक समाप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए धीरे-धीरे माहौल बनाने की जरूरत है। क्योंकि यकायक क्रप्षन समाप्त करने में महात्मा गांधी, राममनोहर लोहिया और जयप्रकाष नारायण जैसे देष के महापुरूष कामयाब नहीं हो पाये क्योंकि इनलोगों ने भी क्रप्षन को वायका्रइसीस समाप्त करने की कोषिष की थी। परिणामस्वरूप भ्रष्टतंत्र में षामिल लोगों ने उनका जड़ खोद दिया। इसलिए जन लोकपाल के सवाल पर अन्ना हजारे और काला धन के सवाल पर बाबा रामदेव प्रयास कर रहे हैं। बाबा रामदेव के अनषन पर हमला इसीलिए हुआ क्योंकि वे वाय्राइसीस भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना चाह रहे हैं ऐसे में जो बेइमान लोग हैं उनलोगों ने उन पर प्रहार करवाया। इसलिए अन्ना हजारे साहब को लोकपाल के सवाल पर गंभीरता से सोचना चाहिए। इसे वायलाइसीस के सिद्धान्त पर आगे बढ़ने दें। पहले देखे तो सरकार कैसा बिल लाना चाह रही है। उसे बिल लाने तो दें। पहले ही कह देंगे कि प्रधनमंत्री और जस्टिस को भी इसके दायरे में लाना होगा तो उस लोकपाल बिल का हष्र भी वैसा ही होगा जो हाल बाबा रामदेव के आन्दोलन का किया गया। क्योंकि लोकपाल बिल की मंजूरी के लिए संसद में वोट करेंगे सांसद और वोटों की व्यवस्था करायेंगे प्रधानमंत्री ही न। और कोई अपने लिए स्वयं कब्र खोदेगा? भाषण में बातें कहने की बात अलग है। इसलिए अन्ना हजारे साहब को लोकपाल बिल को संसद में पेष ओर उसे पास कराना है तो सरकार की पहल को फौलो करें अपनी बात को रखें जरूर पर इस बात का ध्यान अवष्य रखें कि यह बिल ड्राफट होकर संसद में पेष हो जाए। बिल एक बार पास हो गया तो उसमें संषोधन करवाकर किसी को भी उसके दायरे में लाया जा सकता है। अन्यथा सारी कसरत बेकार जा सकती है। क्योंकि भ्रष्ट तंत्र का जाल बहुत ही मजबूत है।