बुधवार, 4 मई 2011

अमेरिका दुनिया में आतंकवाद का सबसे बड़ा पोषक

डा.एम.एजाज अली
पटनाः आतंक का मतलब है दहशत  पैदा करना और जो दहशत  पैदा करता वह आतंकवादी कहलाता है। वह चाहे किसी भी प्रकार का दहत हो। बाबरी मस्जिद को तोड़ने के पहले और उसके बाद पूरे देष में एक जाति विषेष को दहशतजदा करने के लिए दंगा-फसाद करवाया गया था। जिसे अंजाम देने वाले आज भी आजाद घूम रहे हैं। भारत के इतिहास में उससे बडी दहषतगर्दी की वारदात अंजाम नहीं दी गयी थी। उसे अंजाम देने वाला तो दहशतगर्द की ही श्रेणी में आयेगा पर क्या वे इसे मानने को तैयार है। ठीक उसी प्रकार जो लोग ओसामा को दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी करार दे रहे हैं दुनिया में ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो यह मानते हैं कि ओसामा ने अमेरिका की हिटलरषाही आतंकी प्रवुति का उसी के अंदाज में सही जवाब दिया था। भारत के स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, राजगुरू, अषफाक उल्ला खां और चन्द्रषेखर आजाद जब जंग आजादी में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ रहे थे तो उस समय की ब्रिटिष सरकार ने इन देषभक्तों को आतंकवादी कह कर ही तो सम्बोधित करते थे पर ये सपूत भारतवासियों के लिए तो स्वतंत्रता सेनानी थे। गांव और कसबे में दहषत फैलाकर अपनी मनमानी करने वालों को रंगदार या फिर बास के नाम से जाना जाता है और जब उसका कैनवास बड़ा होता है तो वह आतंकवाद का षेप ले लेता है। अमेरिका की नजर में ओसामा बिन लादेन दुनिया का सबसे बड़ा आतंकवादी था क्योंकि उस पर आरोप है कि उसने अमेरिका की आर्थिक स्थिति को बिगाड़ने के लिए बर्ल्ड ट्रेड सेन्टर को हवाई जहाज की टक्कर से तबाह कर दिया था जिसमें सैकड़ों लोगों की जानें भी गई थी। इस हमले से अमेरिकियों पर ऐसा दहषत छाया कि वे सहम गये उन्हें लगने लगा था कि इतनी साइंसी तरक्की के बाद भी उनके घर में इस प्रकार का हमला होना तो इसी बात का प्रमाण है कि वे अब अमेरिका में कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। आम अमेरिकी के इस खौफ को कम करने के लिए वहां की सरकार ने तत्काल ओसामा बिन लादेन को टारगेट कर अफगानिस्तान पर हमला करना प्रारम्भ कर दिया। अपने  लोगों के दहषत को कम करने के लिए अमेरिका ने अफगानिस्तान में दहषत फैलाया और एटम बम को छोड़ कर दुनिया को तबाह करने में सक्षम हजारों बम गिराये। जिसमें हजारों बच्चे, औरतें और बेगुनाह लोगों को मार कर तो यही संदेष दिया कि दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी अमेरिका पर हमला करने की हिम्मत करनेवालों को वे अपनी ताकत का एहसास कराकर दम लेंगे चाहें इसके लिए मानवाधिकारों का हनन हो या फिर मासूम बच्चे व औरतों का कत्ल ही क्यों न करना पड़े। है।  जिनका अमेरिका में हुए अटैक से दूर-दूर का भी वास्ता नहीं था। सिर्फ अपने देषवासियों के खौफ को दूर करने के लिए अमेरिका ने अपने क्रूर आतंकी चेहरे का विष्व के सामने पेष किया। इराक में उसने क्या किया। वहां हमला करने का बहाना बनाया कि उनके यहां धातक हथियार हैं पर सद्दाम की मौत के इतने दिनों के बाद भी एक अदद न्यूकिल्यर हथियार विष्व समुदाय के सम्मुख पेष नहीं कर पाया। इसलिए मेरा मानना है कि विष्व का सबसे बड़ा आतंकवाद का पोषक व संरक्षक अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस है। जिसके लिए आतंकवाद की परिभाषा बदलती रहती है। गत 1 मई 2011 को ओसामा बिन लादेन को अमेरिका ने पाकिस्तान में मार गिराने का दावा किया हैं। साथ में यी भी दावा किया है कि ओसाता का खात्मा कर उसने अपने देष के मुजरिम से बदला ले लिया है। अमेरिका से यह सवाल हमेषा पूछा जाता रहा है कि ओसामा को इस रास्ते पर लगाया किसने! क्या अमेरिका का अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेना के खिलाफ लड़ाना और जंगी साज व सामान मुहैया करवाना आतंकवाद को पैदा करने में सहायक नहीं कहा जायेगा। उस समय ओसामा एक भला व्यक्ति था क्योंकि वह अमेरिका के दुष्मन से लड़ रहा था पर जैसे ही ओसामा ने अमेरिका पर प्रहार किया वह आतंकवादी हो गया।इसलिए विष्व में सबसे बड़ा आतंकवाद का पोषक कोई है तो वह अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस जैसे देष हैं और जब तक इनकी गंदी पालिसी जारी रहेगी तब तक आतंकवाद फलता फूलता रहेगा।