शनिवार, 28 मई 2011

अंतिम दम तक लड़ूंगा दलित मुसलमानों के हक की लडाई

पटनाः कांग्रेस क्या समझती है कि वह मुझे झूठे मुकदमे में गिरफ्तार करवाकर तिहार जेल भेज कर दलित मुसलमानों की लड़ाई लड़ेने से रोक लेगी? तो यह उसकी भूल है? मैं पूरे अजम व अटल इरादे के साथ इस मुददे को पिछले सतरह सालों से उठा रहा हूं और इस लड़ाई को अंतिम दम तक लड़ता रहूंगा। चाहे इसमें मेरी जान ही क्यों न चली जाए। मैं इस नइंसाफी के लिए संघर्ष करता रहा हूं और आगे भी यह जारी रहेगा। कांग्रेस खुद को सेक्यूलर पार्टी बताती है पर क्या यह सही है कि वर्णवादी व्यवस्था के आधार पर जो मुसलमान जूता बनाते हैं या फिर जो लोग कपड़ा घोकर अपना जीवन यापन करते या फिर जो लोग हलालखोर, नट, वक्खो और अन्य दलित मुसलमानों को हिन्दुओं के दलित जाति के लोगों को जो सुविधा मिल रही है वह मुसलमानों के उस समाज को सुविधा नहीं मिले? क्या यह भेद-भाव नहीं है? कांग्र्रेस की तात्कालीन सरकार ने प्रेसिडेंषियल आर्डर के आधार पर मुसलमानों को दलित हिन्दुओं को मिलने वाली सुविधाओं से वंचित कर रखा है। क्या यह सही है? अगर हां तो फिर देष सेक्यूलर संविधान के ढाुंचे पर तो कांग्रेस ने प्रष्नचिन्ह लगा ही दिया है? क्या इसे समाप्त नहीं होना चाहिए ? मैं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से यह पूछना चाहता हूं कि क्या यह मुसलमानों के दलित समाज के साथ नाइंसाफी नहीं है? कि देष के हिन्दुओं, सीखों व बौद्धों को इसका लाभ मिल रहा है पर मुसलमानों के दलित समाज को वैसी ही सुविधा क्यों नहीं मिल रही? और जब मैंने इस बात को संसद से सड़क तक इस बात को उठाया तो मुझे जेल में डाल दिया गया। इसका जवाब कांग्रेस को देना होगा? वह इसलिए क्योंकि डा.भीम राव अम्बेदकर ने जिस संविधान की रचना की थी उसमें मुसलमानों के दलित समाज को हिन्दुओं के दलित समाज के जैसा आरक्षण न मिले इसका उल्लेख नहीं किया गया था। फिर ऐसा कैसे हो गया कि मुसलमान दलितों को संविधान की धारा 341 में वैसी सुविधा नहीं मिले इस बात का उल्लेख कर दिया गया? यह मुसलमानों के दलित वर्ग के साथ नइंसाफी है? इसका हल तो कांग्रेस को ही निकालना होगा। क्योंकि उसी ने ऐसी साजिष रचि है। कांग्रेस पूरे देष में स्वयं को मुसलमानों का हिमायती बताती है पर उसका यह कदम तो यही प्रदर्षित करता है कि वह मुसलमानों की दुष्मन नम्बर वन है? ऐसे में मुसलमानों के दलित वर्ग के  हक व हकूक के लिए हम अपनी लड़ाई आगे भी जारी रखेंगे। रही बात मेरी दिल्ली में गिरफ्तारी की तो हम इस की निन्दा करते हैं क्योंकि मुझे वाल राइटिंग दिवार लेखन करवाने के आरोप में जेल भेजा गया। इतना ही नहीं मुझे आम कैदियों के वार्ड में रखा गया। जबकि मैं पूर्व सांसद हूं। मैं एक राजनीतिक कैदी था तो मुझे सरकार द्वारा निर्देषित सुविधा मिलनी चाहिए थी पर ऐसा नहीं हुआ। यह सब कांग्रेेस के इषारे पर किया गया ताकि मैं हतोत्साहित हो जाउं? पर ऐसा सोचना कांग्रेस की भूल है। क्या तिहार जेल प्रषासन इसके लिए दोषी नहीं है? पर कांग्र्रेस की सरकार ने ऐसा करने वाले अपने अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवायी नहीं की। नहीं तो क्यों नहीं? क्या यह इस बात का प्रमाण नहीं माना जा सकता कि सब कुछ कांग्रेस के इषारे पर हुआ? कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और दिल्ली की मुख्यमंत्री षिला दीक्षित इसका जवाब दें?