मंगलवार, 7 जून 2011

देश को दलित राष्ट्र बनाने और यहां भीमराज लाने की जरूरत

   डॉ.ऍम. एजाज़ अली              7 जून को भाजपा से निष्काषित नेता उमा भारती पुनः भाजपा की शरण में चली गई। भाजपा अध्यक्ष नीतीन गडकरी ने उन्हें उत्तर प्रदेष का प्रभारी बना दिया। अपनी भाजपा में वापसी के मौके पर उन्होंने संवाददाताओं को सम्बोधित जो विचार व्यक्त किये वह कोई नया नहीं कहा जा सकता क्योंकि भाजपा देश के हिन्दू समाज को ठगने के लिए वर्षों से ऐसी बातें करती रही है। इसलिए उमा भारती ने वही बात अपनी भाजपा में वापसी के मौके पर कह कर यूपी के लोगों को भरमाने का प्रयास किया है। उमा भारती ने कहा कि वे यूपी में रामराज लायेंगी। रामराज का मतलब क्या? क्या वे वैसा रामराज लायेंगी जैसा गुजरात में नरेन्द्र मोदी ने लाया? यदि हां तो ठीक है उनकेी घोषणा पर एक साल के बाद ही तो यूपी के चुनाव में पता चलेगा? पर उमा जी की घोषणा ने यह साफ कर दिया है कि यूपी की सियासत में एक बार फिर से कमंडलवादी राजनीति को भाजपा हवा देने वाली है। जिसके लिए भाजपा जानी जाती हैं। पर सवाल यह उठता है कि भाजपा देश में किस प्रकार का रामराज लाना चाहती है। मुल्क के सभी बड़े ओहदे पर हिन्दू धर्म के लोग काबिज हैं। राष्ट्रपति से लेकर फौज के बड़े अफसर हिन्दू ही हैं देश के एक राज्य जम्मू-काष्मीर को छोड़ दे ंतो अधिकांश राज्यों में हिन्दू धर्म के नेताओं के ही हाथों में कमान है। देश के पिछले पांच सौ सालों का इतिहास देखा जाए तो यहां मुसलमानों, अंग्रेजों के बाद फिर से हिन्दुओं के हाथ में  शासन की बागडोर है। पिछले 63 सालों से अपना देश आजाद है। यहां अब लोकतंत्र है। सभी को अभिव्यक्ति औरं धर्म को मानने की आजादी है। शिक्षा को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया है। ऐसे में देशवासियों को रोजी, रोटी और मकान मुहैया कराना सरकार की जिम्मेदारी है। पर पिछले 63 सालों में सरकारें ऐसा कर पाने में सफल हो पायी क्या? अगर नही ंतो क्यों नहीं? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? कभी उनलोगों को इसके लिए पैनालाईज किया गया जिन्हें गरीबों तक उनका हक पहुंचाने की जिम्मेदाी सौंपी गई थी। इसके एवज में उन्हें मोटी तनख्वाहें भी दी गई? पर हासिल क्या हुआ? हर पांच साल में नयी योजनाएं बनती हैं और उसे जमीन पर उतारने के नाम पर करोड़ों का खर्च आता है पर गरीबों की गरीबी दूर नहीं होती। अभी हाल के दिनों में एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है जिसमें कहा गया है कि देश की 80 प्रतिशत आबादी प्रतिदिन 20 रूपये में जीवन यापन कर रही हैं। उस पर योजना आयोग  ने यह कह कर गरीबों को मुंह चिढ़ाने का प्रयास किया है कि 15 रूपये प्रतिदिन एक व्यक्ति के लिए काफी है। यह तो हाल है देश में योजना बनाने वालों का। मैं मौंटेक सिंह अहलूवालिया जो अभी योजना आयोग के उपाध्यक्ष हैं उनसे पूछना चाहता हूं कि आप के पीने का एक लीटर पानी पन्द्रह रूपये का होता है। ऐसे में पन्द्रह रूपये में देश की गरीब अवाम के लिए क्या खाने पीने और जीवन यापन के लिए बहुत है? देश का संविधान डा.भीमराव अम्बेडकर ने लिखा था। वे दलित समाज से आते थे। उन्होंने दलितों के लिए संविधान में राजनीतिक,शैक्षणिक और नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान कर दिया था अन्यथा आज दलित समाज जितनी तरक्की कर लिया नहीं कर पाता क्योंकि देश का भ्रष्ट तंत्र उन्हें पांव तले रखता      आज देष में 80 प्रतिषत आबादी गरीबों व दलितों की है। भीमराव अम्बेडकर ने अपने लिखे संविधान में कमजोर वर्ग, गरीबों और दलितों के लिए बहुत उपाय निकाले हैं। ऐसे में रामराज की बजाय देश में भीमराज लाने और देष को दलित राष्ट्र धोषित करने की जरूरत है। इसीलिए मैं भीमराज और दलित राष्ट्र की वकालत कर रहा हूं और पूरे देश में भीमराज लागू हो जाए तो देष की ब्राह्मम्णवादी व्यवस्था खुद व खुद समाप्त हो जायेगी।
इसी ब्राह्मम्णवादी व्यवस्था का परिणाम है कि देश के मुसलमानों की स्थिति आज दलितों से भी नीचे आ गई है। यह राजेन्द्र सिंह सच्चर आयोग की रिपोर्ट में साफ हो गया है। इसके लिए दोषी कौन कहा जायेगा। जाहिर है कांग्रेस और भाजपा शासनकाल में मुसलमानों की यह दुर्गति बनी है। इसलिए वक्त की मांग है कि देश को दलित राष्ट्र घोषित कर यहां भीमराज लाने की जरूरत है।

रविवार, 5 जून 2011

बाबा रामदेव की टोली पर हमला निन्दणीय

डा.एम.एजाज.अली
 
           दिल्ली के रामलीला मैदान में काला धन के सवाल पर अनषन पर बैठे बाबा रामदेव व उनके समर्थकों पर दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की जितनी निन्दा की जाए वह कम है। इसे लोकतंत्र का काला अध्याय कहा जाए तो गलत नहीं होगा।
                ऐसा क्यों हुआ इसे समझने की जरूरत है। आज पूरा देष क्रप्षन में डूब चुका है। ऐसे में हम इस बिमारी को एकबारगी खत्म करना चाहेगें तो उसका हाल वैसा ही होगा जैसा बाबा रामदेव के आन्दोलन का कांग्रेस नीत केन्द्र सरकार ने किया। यह वाय क्राइसीस नहीं हो सकता इसके लिए वाय लाइसीस का रास्ता बनाना होगा। यानी धीरे-धीरे माहौल बनानी होगी। इसके लिए हमें पैगम्बर मोहम्मद साहब की कार्यपद्धति का अनुषरण करना होगा। हम सभी जानते हैं कि पैगम्बर हजरत मोहम्मद साहब ने इसलाम धर्म का प्रचार जब मक्का से प्रारम्भ किया था उस समय अरब के लोगों में दुनिया की सारी बुराईयां भरी पड़ी थी। उनके बीच षराब पीने का चलन आम था। वे औरतों की ईज्जत नहीं करते थे यहां तक की लड़की पैदा होने पर उसे मार देते थे। वगैरह-वगैरह विभिन्न प्रकार की बुराईयां उनमें व्याप्त थी। पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने पहले अरब के लोगों को इसलाम धर्म को अपनाने की दावत दी। उसके बाद पांच वक्त के नमाज की ताकीद की। इसमें वेलोग भी मस्जिद जाकर नमाज पढ़ने लगे जो षराब पीने के आदी थे। उन्होंने उनलोगों को मस्जिद जाने से मना नहीं किया जबकि इसलाम धर्म में षराब पीकर नमाज अदा करने की मनाही है। पर उस समय वक्त का यही तकाजा था सो पैगम्बर इसलाम ने उनलोगों को    मस्जिद जाने से नहीं रोका पर जब वे नियमित नमाज में आने लगे तब धीरे-धीरे उन्हें षराब पीकर मस्जिद आने और नमाज पढ़ने को गलत बताना प्रारम्भ किया। उन्हें बताया गया कि षराब पीकर नमाज पढ़ने वालों से ज्यादा पुण्य उसे मिलता है जो षराब नहीं पीते। इसका असर यह हुआ कि षराबी लोग धीरे-धीरे षराब से तौबा करते चले गये और षराब पीना ही छोड़ दिये। कहने का मतलब यह है कि पैगम्बर मोहम्म्द साहब अगर उन षराबियों को एकाएक षराब छोड़ने को कहते जो षराब पीने के आदी हो चुके थे तो उनके लिए यह संभव नहीं होता क्योंकि उन्हें षराब की लत लग चुकी थी। उसी प्रकार इस देष के आला अफसरों और राजनेताओं के खून में क्रप्षन का जीन धुस गया है। यह वाय क्राइसीस यकायक समाप्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए धीरे-धीरे माहौल बनाने की जरूरत है। क्योंकि यकायक क्रप्षन समाप्त करने में महात्मा गांधी, राममनोहर लोहिया और जयप्रकाष नारायण जैसे देष के महापुरूष कामयाब नहीं हो पाये क्योंकि इनलोगों ने भी क्रप्षन को वायका्रइसीस समाप्त करने की कोषिष की थी। परिणामस्वरूप भ्रष्टतंत्र में षामिल लोगों ने उनका जड़ खोद दिया। इसलिए जन लोकपाल के सवाल पर अन्ना हजारे और काला धन के सवाल पर बाबा रामदेव प्रयास कर रहे हैं। बाबा रामदेव के अनषन पर हमला इसीलिए हुआ क्योंकि वे वाय्राइसीस भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना चाह रहे हैं ऐसे में जो बेइमान लोग हैं उनलोगों ने उन पर प्रहार करवाया। इसलिए अन्ना हजारे साहब को लोकपाल के सवाल पर गंभीरता से सोचना चाहिए। इसे वायलाइसीस के सिद्धान्त पर आगे बढ़ने दें। पहले देखे तो सरकार कैसा बिल लाना चाह रही है। उसे बिल लाने तो दें। पहले ही कह देंगे कि प्रधनमंत्री और जस्टिस को भी इसके दायरे में लाना होगा तो उस लोकपाल बिल का हष्र भी वैसा ही होगा जो हाल बाबा रामदेव के आन्दोलन का किया गया। क्योंकि लोकपाल बिल की मंजूरी के लिए संसद में वोट करेंगे सांसद और वोटों की व्यवस्था करायेंगे प्रधानमंत्री ही न। और कोई अपने लिए स्वयं कब्र खोदेगा? भाषण में बातें कहने की बात अलग है। इसलिए अन्ना हजारे साहब को लोकपाल बिल को संसद में पेष ओर उसे पास कराना है तो सरकार की पहल को फौलो करें अपनी बात को रखें जरूर पर इस बात का ध्यान अवष्य रखें कि यह बिल ड्राफट होकर संसद में पेष हो जाए। बिल एक बार पास हो गया तो उसमें संषोधन करवाकर किसी को भी उसके दायरे में लाया जा सकता है। अन्यथा सारी कसरत बेकार जा सकती है। क्योंकि भ्रष्ट तंत्र का जाल बहुत ही मजबूत है।

शुक्रवार, 3 जून 2011

देशं का संविधान धर्म के आधार पर भेद-भाव करने की इजाजत नहीं देता

 जनता दल मेहनतकशं  के संस्थापक सह आल इंडिया युनाइटेड मुस्लिम मोर्चा के अध्यक्ष शं डा.एम.एजाज अली ने  धारा  341 की उपधारा 3 में उन दलितों को ही आरक्षण का लाभ दिये जाने का जो हिन्दू हैं कि मुखालफत करते हुए कहा कि देशं का संविधान धर्म के आधार पर भेद-भाव करने की इजाजत नहीं देता है तो फिर मुस्लिम समाज के दलित वर्ग में आने वाली जातियों को दलित आरक्षण का लाभ क्यों नहीं मिल रहा क्या यह मुस्लिम दलितों के साथ भेद-भाव नहीं है? इसे कौन देखेगा? क्या यह समाप्त नहीं होना चाहिए? यह खेल कांग्रेस के केन्द्र में सरकार  के दौरान हुआ है। जबकि बाद में क्रमशं सीखों और बौद्ध समाज के लोगों को यह लाभ दे दिया गया पर क्या वजह है कि मुस्लिम व इसाईयों की दलित जातियों को यह लाभ नहीं मिल पाया है। वक्त की यह मांग है कि मुसलमानों के सभी दल के नेता कांग्रेस नीत यूपीए सरकार पर इस बात के लिए दबाब बनायें कि दलित मुसलमानों को भी आरक्षण का लाभ मिले। मेरा मानना  कि आजादी के बाद दलित हिन्दुओं की सबसे ज्यादा तरक्की हुई। इसका वाहिद वजह है कि उन्हें दलित आरक्षण के चलते राजनीतिक, आर्थिक और शैखानिक  स्तर पर लाभ मिला है।